Friday, July 2, 2010

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम रचित प्रार्थना: अदम्य साहस जगाइए!

अदम्य साहस जगाइए!

मेरे प्रभु, तेरे चरणों में पहुँचे मेरी यह प्रार्थना

दूर कर दो, प्रभु, मेरे ह्नदय की क्षुद्रता,

दो मुझे शक्ति सहज भाव से

अपने आनंद और विषाद सहने की।

दो मुझे शक्ति

जिससे मेरा अनुराग तेरी सेवा में सुफल हो।

प्रभु, ऐसी शक्ति दो मुझे

कि दीनजन से किसी विमुख न होऊँ मैं

ऐसी शक्ति मुझे दो प्रभु,

कि उद्धत-उन्मत्त किसी शक्ति के आगे घुटने न टेकूँ कभी।

प्रभु ऐसी शक्ति दो मुझे

कि दिनानुदिन की क्षुद्रताओं के सम्मुख

सिर सदा मेरा ऊँचा रहे।

मेरे प्रभु, शक्ति दो मुझे

कि सादर-सप्रेम अपनी शक्ति-सामथ्र्य सारी

अर्पित कर पाऊँ मैं तुम्हारे श्रीचरणों में

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