Friday, July 2, 2010

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की कृति अदम्य साहस

‘‘किस रुप में याद रखे जाने की आपकी आकांक्षा है? आपको अपने को विकसित करना होगा और जीवन को एक आकार देना होगा। अपनी आकांक्षा को, अपने सपने को, एक पृष्ठ पर शब्दबद्ध कीजिए। यह मानव इतिहास का एक बहुत महत्वपूर्ण पृष्ठ हो सकता है। राष्ट्र के इतिहास में एक नया पृष्ठ जोड़ने के लिए आपको याद रखा जाएगा। भले वह पृष्ठ ज्ञान-विज्ञान का हो, परिवर्तन का, या खोज का हो, या फिर अन्याय के विरुद्ध संघर्ष का।’’
… ये शब्द हैं भारत के पूर्व राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के, अदम्य साहस से उद्धृत, सीधे दिल की गहराई से निकले सादा शब्द, गहन चिंतन की छाप छोड़ते और बुनियादी मुद्दों के बारे में उनके गहरे विचारों की झलक देते। लगभग जादुई असर वाले ये शब्द प्रेरणा जगाते हैं, और एक ऐसे विकसित देश का सपना संजोते हैं जो ‘सारे जहाँ से अच्छा’ है।
मानवीय, राष्ट्रीय  और वैश्विक सरोकारों से जुड़े, चिरयुवा स्वभाव वाले, डा. कलाम के ये शब्द कर्मपथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा जगाते हैं और ऊर्जा देते हैं।
अदम्य साहस ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के जीवन-दर्शन और चिंतन का सारतत्व है। रामेश्वरम् के सागरतट से राष्ट्रपति भवन तक फैले उनके जीवन और जीवन-दर्शन का आइना है। अदम्य साहस देश के पूर्व प्रथम नागरिक के दिल से निकली वह आवाज है, जो गहराई के साथ देश और देशवासियों के सुनहरे भविष्य के बारे में सोचती है। यह पुस्तक जीवन के अनुभवों से जुड़े संस्मरणों, रोचक प्रसंगों, मौलिक विचारों और कार्य-योजनाओं का प्रेरणाप्रद चित्रण है। एक चिंतक के रुप में, एक वैज्ञानिक और एक शिक्षक के रुप में तथा राष्ट्रपति के अनेक प्रेरणादायी पक्ष इस पुस्तक में सजीव उठे हैं, जो उनके भाषणों और आलेखों पर आधारित हैं।
युवाओ के लिए प्रेरणा दायक गत सदी की श्रेष्ठतम पुस्तक है। इसमें श्री कलाम साहब को प्रेरित करने वाले व्यक्तित्व उनकी ममतामयी मां, भारतरत्न एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी एवं पांच महान वैज्ञानिक प्रो. विक्रम साराभाई, प्रो. सतीश धवन, प्रो. ब्रह्य प्रकाश, प्रो. एम जी के मेनन एवं राजा रमन्ना का वर्णन है। इसमें लिखा है कि जो समाज में परिवर्तन ला सकते हैं, वे माता,पिता और शिक्षक।इसमें लिखा है कि शिक्षक से अधिक महत्वपूर्ण दायित्व किसी का नहीं है।एक शिक्षक का जीवन कई दीपों को प्रज्वलित करता है। शिक्षक की भूमिका उस सीढ़ी जैसी है जिसके द्वारा लोग जीवन की ऊँचाइयों को छूते हैं, लेकिन सीढ़ी वहीं की वहीं रहती है।
पुस्तक का प्रकाशन  राजपान एन्ड सन्स दिल्ली ने किया है। छपाई श्रेष्ठ है व फोटो ग्राफ्स का चयन प्रसंगानुकूल  है। विस्तार से सन्दर्भ दिये हुवे है। इस तरह पुस्तक अच्छी पढ़ने योग्य व प्रेरक है।

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