मई 1974 में भारत का पहला परमाणु परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सेथना ने राजनेताओं को सलाह दी है कि वो वैज्ञानिक मुद्दों से दूर रहें। इस मुद्दे पर राजनीति करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, "जब हमने पहला परमाणु परीक्षण किया था, तब वहां कोई राजनेता नहीं था। वो एक कच्चा परीक्षण था। हम खुशकिस्मत है कि वो सब खत्म हो गया।"
गौरतलब है कि हाल ही में डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक डा. संथानम ने दावा किया था कि पोखरण में 1998 में हुए परमाणु परीक्षणों में से दूसरा परीक्षण सफल नहीं था, जिस पर बाद में डा. कलाम ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा था कि पोकरण द्वितीय पूरी तरह सफल था।
यही नहीं संथानम के इस खुलासे के बाद देश भर के राजनीतिक दलों ने तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन पर उंगलियां उठानी शुरू कर दी थीं। हालांकि बाद में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी यह साफ कर दिया कि वे परीक्षण पूरी तरह सफल था।
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ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
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